खुद्दारी ! - Short Story In Hindi - Storykunj
हेलो फ्रेंड्स Storykunj In Hindi में आपका स्वागत है। आज की यह कहानी है एक गरीब गांंव वासियों की। और इसी गांव में डॉक्टर दीक्षा का एक क्लीनिक है। आइए पढ़ते हैं एक पेशेंट से जुड़ी यह कहानी खुद्दारी !
डॉक्टर दीक्षा के क्लीनिक में बेहद गरीब पेशेंट भी आते ही रहते थे । उनके लिए डॉक्टर दीक्षा अपनी फीस या तो छोड़ ही देती थी या फिर बेहद कम कर देती थी । तो भी उनके पास दवाइयों का कोर्स पूरा करने के पैसे नहीं होते थे । गरीबी की वजह से वह सारी दवाइयां खरीद पाने में असमर्थ होते थे । कभी - कभी तो वह सब दवाई की भीख सी मांगते, डॉक्टर के सामने आते तो उनकी रूह कांप जाती थी ।
पूरे गांव में एक ही क्लीनिक होने के कारण डॉक्टर दीक्षा सोचने पर मजबूर हो जाती थी कि पैसों के अभाव में किसी का स्वास्थ्य और ज्यादा ना बिगड़े । इसलिए वह हर संभव ग्रामीणों की मदद करती थी।
एक बार एक बुजुर्ग मरीज के परिजन से कहा ! "सात दिन की दवाई दी थी ना, अभी सात दिन और देनी है, आठवें दिन आकर दिखा जाना, थोड़ा वक्त लगेगा, चिंता मत करो, ठीक हो जाएंगे ।"
उसने बड़े इत्मीनान से कहा, "अब कौनो चिंता की बात नाहीं डाकटर साहेब, हमको दवा से ज्यादा जरूरत तो बकरी की थी, सो हमने दवा के लिए वह भी गिरवी रख दी, अब हम सब से जे तो कह सकते है कि हमसे जो भी कुछ बन पड़ा बो सब हमने किया............... । "
डॉक्टर दीक्षा के पास शब्द नहीं थे कुछ कह पाने के लिए।
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