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बेरंग जिंदगी में रंग - Motivational Story In Hindi - Storykunj

     
आज अंजू ना जाने किन ख्यालों में खोई हुई थी.... कमरे में टीवी चल रहा था लेकिन उसका ध्यान कहीं और था  | टीवी में गाना चल रहा था.....
" किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है........."
           अचानक मां ने आवाज लगाई अंजू ! "बेटा खाने के लिए आ जाओ,  खाना लगा दिया है" मां ने आवाज दी तो जैसे वह सपने से जागी,  खाना खाने का उसका बिल्कुल मन नहीं था । 
       बात ही कुछ ऐसी थी। आज उसके पति के देहांत को एक साल हो चुका था।  पति की याद  दिल से जा ही नहीं रही थी । 
 मां - पिताजी से भी बेटी का दुख कहां देखा जा रहा था। पर कर भी क्या सकते थे नियति को यही मंजूर था। 
 मां के साथ खाना खाते हुए अचानक अंजू की नजर फेसबुक पर किसी फ्रेंड रिक्वेस्ट पर गई। कुछ देर के लिए उसकी नजरें थम सी गई।  दिल को यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह वही है।        रिक्वेस्ट उसके बचपन के सहपाठी अविनाश का था। अंजू इसी उधेड़बुन में थी कि रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करूं या नहीं । आखिरकार हिम्मत करके रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर लिया अब दोनों के बीच मैसेज का आदान-प्रदान होने लगा। 
 अविनाश स्कूल के दिनों से ही अंजू को बहुत पसंद करता था । पर कभी खुलकर बोल नहीं पाया । दोनों के परिवार में जमीन आसमान का अंतर जो था । अविनाश एक साधारण परिवार से था । पिता खेती-बाड़ी करते थे और अंजू गांव के एक बहु प्रतिष्ठित परिवार से थी । जब भी अविनाश स्कूल आता है।  तो उसकी नजरें अंजू को ढूंढती रहती । अंजू इन सब बातों से बेखबर थी । अलबत्ता उसकी कुछ सहेलियों को इस बात की भनक जरूर थी।  आखिरकार वह दिन भी आ गया जब सब को एक दूसरे को अलविदा कहना था । आज स्कूल में फेयरवेल पार्टी थी।  सब जिद कर रहे थे कि अविनाश कोई गीत गाए। वाइट शर्ट और ब्लू जींस में अविनाश काफी हैंडसम दिख रहा था।  सभी सहपाठी गाने के लिए जिद कर रहे थे । पर उसके नजरें तो अंजू पर टिकी हुई थी ।  उसे देखते हुए उसने गीत शुरू किया.....
 तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम...... 
  आज के बाद.......
 आज ना जाने क्यों अंजू को भी अपने अंदर कुछ टूटता हुआ महसूस हुआ,  पर उसे शायद समझ नहीं आया।  स्कूल के एग्जाम हो चुके थे और अंजू का एडमिशन शहर के एक कॉलेज में हो गया था । एक दिन अचानक से अविनाश से सामना हो गया।  आज हिम्मत करके अविनाश ने पूछ ही लिया । अंजू क्या मैं तुम्हारे लिए इंतजार करूं या आज भी तुम्हारा जवाब ना है।  इस बार भी अंजू कुछ बोल नहीं पाई,  पर उसकी खामोशी ने सब कुछ कह दिया । अविनाश कुछ देर अंजू को ध्यान से देखने के बाद, अपना ख्याल रखने की हिदायत देकर वहां से विदा हो गया। 
       अंजू उसे दूर तक जाते हुए देखती रही।  ऐसा नहीं था कि वह उसे चाहती नहीं थी,  पर वह ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहती थी जिससे उसके परिवार की इज्जत को आच  आए। 

 अंजू  ग्रेजुएट हो चुकी थी । पापा ने उसके लिए लड़के देखने शुरू कर दिए और एक अच्छा पढ़ा लिखा, कमाऊ लड़का देखकर उसकी शादी करा दी गई । पर होनी को कौन मिटा सकता है।  शादी के कुछ दिनों बाद ही उसके पति की एक भयंकर दुर्घटना में मौत हो गई ।  इस गम से उबरना उसके लिए नामुमकिन सा हो रहा था । अब अंजू के पास शिवाय आंसुओं के कुछ ना था।  बेटी का दुख माता-पिता से देखा नहीं जा रहा था और वे उसे अपने साथ ले आए । अविनाश को जब इन बातों का पता चला तो वह हर संभव कोशिश करता की अंजू वापस अपनी जिंदगी की ओर लौट आए । 



  

    उसने अभी तक शादी  नहीं की थी। अंजू को पेंटिंग्स बनाने का बहुत शौक था । लेकिन शादी के बाद उसने अपने इस शौक को भुला दिया था। लेकिन अब अविनाश के कहने पर अंजू फिर से  पेंटिंग बनाने लगी । अपनी बनाई हुई आधी -अधूरी पेंटिंग की तस्वीर वह अविनाश को भेजती तो उसका जवाब होता "कुछ चीजें अधूरी ही अच्छी लगती हैं " अब अंजू को भी उसकी तारीफ अच्छी लगने लगी थी। अंजू का मुरझाया हुआ मन फिर से खिलने लगा। 

आज काफी दिनों बाद उसकी मां ने उसके चेहरे पर मुस्कान देखी ।  मन ही मन उन्होंने बेटी की नजरें उतारी और बहुत पूछने पर  अंजू ने उन्हें सब कुछ सच-सच बता दिया । शुरू में तो वह कुछ घबराई पर फिर उन्होंने अपने मन को मजबूत करके अंजू के पापा से बात की । कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने भी हां कर दी । आखिर वह भी अपनी बेटी की बेरंग जिंदगी में रंग देखना चाहते थे। 
 अविनाश के परिवार वालों से बात की तो उनको भी अंजू को अपनी बहू बनाने में कोई आपत्ति नहीं थी । 

         आखिर में सच्चे प्यार की जीत हुई । दोनों परिवारों के आशीर्वाद से आज अंजू विदा होकर अपने पति अविनाश के साथ उसके छोटे से घर में आ गई । जहां एक उम्मीदों भरी दुनिया उन दोनों का इंतजार  कर रही थी। 

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